वो मौतों का खेल खेलते हैं बस राजनीति चमकाने को
वो मौतों का खेल खेलते हैं बस राजनीति चमकाने को
वो जनता को गोट समझते हैं अपनी शतरंज बिछाने को
वो क्या जाने जनता की पीढ़ा,
जो जनता को केवल मोहरा समझें, जो होते हैं पिटवाने को
वो मौतों का खेल खेलते हैं बस राजनीति चमकाने को
वो जनता को गोट समझते हैं अपनी शतरंज बिछाने को
वो क्या जाने जनता की पीढ़ा,
जो जनता को केवल मोहरा समझें, जो होते हैं पिटवाने को