मोहब्बत भी अजीब चीज़ बनाई तूने
मोहब्बत भी अजीब चीज़ बनाई तूने,
तेरी ही मस्ज़िद मे, तेरे ही मंदिर मे,
तेरे ही बंदे, तेरे ही सामने रोते हे,
पर तुजे नही, किसी ओर को पाने के लिए.
मोहब्बत भी अजीब चीज़ बनाई तूने,
तेरी ही मस्ज़िद मे, तेरे ही मंदिर मे,
तेरे ही बंदे, तेरे ही सामने रोते हे,
पर तुजे नही, किसी ओर को पाने के लिए.