अपने मुकद्दर का ये सिला भी क्या कम है
अपने मुकद्दर का ये सिला भी क्या कम है…
एक खुशी के पीछे छुपे हजारो गम है….
चहेरे पे लिये फिरते है मुश्कुराहट फिर भी…
और लोग कहते है, कितने खुशनसीब हम है…
अपने मुकद्दर का ये सिला भी क्या कम है…
एक खुशी के पीछे छुपे हजारो गम है….
चहेरे पे लिये फिरते है मुश्कुराहट फिर भी…
और लोग कहते है, कितने खुशनसीब हम है…