आज कल हर जगह वोटों के भिखारी निकल पड़े हैं
आज कल हर जगह वोटों के भिखारी निकल पड़े हैं
कुटिल राजनीति के मझे हुए खिलाडी निकल पड़े हैं
गलतियों का दोष औरों पर मढने का जो चलन है
उसे निभाने के लिये बहुत से अनाड़ी निकल पड़े हैं
जनता को वो झूंठे वादे अब फिर से मिलने वाले हैं
हम जनता के सेवक हैं झांसे फिर से मिलने वाले हैं
दुनिया की सारी सुख सुबिधायें अब जनता की हैं
सावधान जनता अब वोटों के भिक्षुक मिलने वाले हैं