👯♀️दोस्ती - यारी / रिश्ते शायरियां kitne hi vaade karwalo कितने ही वादे करवालो, नेताओं का क्या जाने वाला अभी जैसा चाहो उन्हें नचाओ, उनका क्या जाने वाला कुछ दिन और बचे हैं जितनी चाहो खुशी मनालो फिर तो रोना ही रोना है ईश्वर भी नहीं बचाने वाला aaj kal har jagah voto ke आज कल हर जगह वोटों के भिखारी निकल पड़े हैं कुटिल राजनीति के मझे हुए खिलाडी निकल पड़े हैं गलतियों का दोष औरों पर मढने का जो चलन है उसे निभाने के लिये बहुत से अनाड़ी निकल पड़े हैं जनता को वो झूंठे वादे अब फिर से मिलने वाले हैं हम जनता के सेवक हैं झांसे फिर से मिलने वाले हैं दुनिया की सारी सुख सुबिधायें अब जनता की हैं सावधान जनता अब वोटों के भिक्षुक मिलने वाले हैं bina pukaare hamei saath बिना पुकारे हमें साथ पाओगे करो वादा कि दोस्ती आप निभाओगे हम ये नही कहते कि हमें रोज याद करना बस याद करना उस वक्त जब अकेले अकेले चॉकलेट खाओगे ishq sabhi ko jina seekha इश्क़ सभी को जीना सीखा देता है, वफ़ा के नाम पर मरना सीखा देता है. इश्क़ नही किया तो करके देखो, ज़ालिम हर दर्द सहना सीखा देता है… kabhi kabhi jeevan mei aise pal कभी कभी जीवन में ऐसे पल भी आते है. कुछ हसीन ख्वाब आँखों में आकर एक नया दर्द दे जाते है. मन के कोरे कागज पर वो अरमानों की तस्वीर सजाते है. मन खुशियों से भरकर आँखों में आंसू दे जाते है. कभी कभी जीवन में…………………. दिल के सूने आँगन में आशाओं के फूल खिलाते है. बंद पड़े साजों को वो गीत नया दे जाते है. कभी कभी जीवन में…………………. दिल की अँधेरी दुनिया में एक चिराग नया जलाते है. प्यार की बारिश करके वो इन्द्रधनुष सा रंग दे जाते है. कभी कभी जीवन में…………………. dil se dil mile hote दिल से दिल मिले होते तो हमारे भी सपने पुरे हो जाते , फूल काँटों पे नहीं खिले होते, तो फूल तो कोई भी बन जाते, अगर कांटे नहीं होते! holi ka tyohar aaya होली का त्यौहार आया रंगो की फुहार लाया रंग-गुलाल अब उड़ने लगा है मस्त का रंग ही चढ़ने लगा है फागुन के इस मस्त महीने धरती का श्रंगार करने बसंत ऋतू भी आ पहुची है वन उपवन में फूल खिलें हैं खुशबू हवा में घुलने लगी है नववर्ष के स्वागत के लिए धरती भी अब सजने लगी है यह वर्ष अब जाने वाला है नव वर्ष अब आने वाला है बीती बाते भूल जाओ सब जो होनी थी है वो हो ली आगे बढ़ो गुलाल लगाओ मिल कर सब – tumhe dekha tumhe तुम्हे देखा तुम्हे चाहा तुम्ही को दिल भी दे डाला अब अरमान है इतना कि तुम मेरे सामने आओ कुछ तुम कहो कुछ हम कहे इकरार हो जाए मिट जाए सारी दूरियां और प्यार हो जाए……….. India ki rajniti mei इंडिया की राजनीति में मचा हुआ घमासान है लोक सभा की सीट ही जैसे हर नेता का अरमान है टिकेट पाने होड़ में रिश्ते नाते भूल रह्रे है पुरानी पार्टी छोड़ कर नए गठबंधन जोड़ रहे हैं महाराष्ट्र हो या बिहार हर रिश्ते पड़ी दरार वोट पाने की चाह में कर रहे एक दूजे पर वार wo mauto ka khel khelte वो मौतों का खेल खेलते हैं बस राजनीति चमकाने को वो जनता को गोट समझते हैं अपनी शतरंज बिछाने को वो क्या जाने जनता की पीढ़ा, जो जनता को केवल मोहरा समझें, जो होते हैं पिटवाने को